वकालत आज युवाओं के लिए एक अच्छा करियर विकल्प बन गई है। कई युवा आज ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर लॉ करने के बाद वकील बनने का सपना देखते है। जैसे हर पेशे का अलग ड्रेस कोड होता है वैसे ही अगर इस पेशे की बात करें तो काला कोट इस पेशे की पहचान है। आपने भी अदालत में वकील को काला कोट पहने हुए देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है वकील अदालत में काला कोर्ट ही क्यों पहनते है। आज हम आपको इसका कारण बताने जा रहे है।

वैसे तो वकालत की शुरुआत सन 1327 में हो गई थी और उस समय इनका ड्रेस कोड लाल और भूरे रंग का गाउन तय किया गया था लेकिन सन 1600 में वकीलों के इस ड्रेस कोड में बड़ा बदलाव किया गया था। उस समय यह कहा गया कि वकीलों को अदालत में जनता के अनुसार ही ड्रेस कोड तय करना चाहिए।

इसके चार वर्ष बाद ही ब्रिटिश क्वीन मैरी का एक बीमारी से निधन होने पर उनके पति राजा विलियंस ने सभी वकीलों को शोक सभा में काले रंग के कपड़ें पहनकर आने के लिए कहा था। तभी से सभी वकील उनके इस आदेश को मानने लगे और काले रंग के कपड़ें पहनने की प्रथा तभी से चली आ रही है। हालाँकि इस ड्रेस कोड में सफ़ेद टाई और शर्ट को बाद में शामिल किया गया है। आज इसी ड्रेस से वकीलों को पहचाना जाता है।

वहीं अगर भारतीय अदालतों में वकीलों द्वारा काला कोट पहनने की वजह की बात करें तो यह कहा जाता है कि हमारे यहाँ यह प्रथा अंग्रेजो के समय से ही चली आ रही है। इसके अनुसार वकीलों की काला कोट पहनने की शुरुआत इंग्लैंड में 1685 में हुई थी और उसी समय भारत में भी इस प्रथा का चलन शुरू हो गया था।

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