B.ed या D.ed, टीचर बनने के लिए क्या करना है फायदे का सौदा
हमारे देश में टीचर बनने के लिए प्रवेश परीक्षाएं करवाई जाती है और कई प्रोफेशनल कोर्स भी करवाए जाते हैं। उन्हीं दो कोर्स में से हैं बी.एड और डी.एड। ये दोनों की टीचिंग करने के लिए ली जाने वाली ट्रेनिंग के कोर्स हैं।
दोनों ही कोर्स में ट्रेनिंग पूरी तरह से अलग-अलग होती है। बी.एड और डी.एड कोर्स के बीच काफी सारे अंतर हैं। बी.एड एजुकेशन में एक ग्रेजुएशन डिग्री है जबकि डी.एड एजुकेशन में एक डिप्लोमा है। बी.एड एक ग्रेजुएशन अकादमिक ट्रेनिंग प्रोग्राम है स्कूलों में शिक्षकों के रूप में तैयार करता है। बीएड छात्रों के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं जो टीचिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं।
बी.एड कोर्स और करियर के अवसर-
किसी ने साइंस या आर्ट से जैसे विषयों में ग्रेजुएशन किया हों तो वो इस कोर्स को करने के लिए योग्य हैं। कोर्स में दाखिल होने के लिए आपको इसके लिए होने वाली परीक्षा में कम से कम 55% से परीक्षा पास करनी होगी। बीएड कोर्स पूरा करने वाले लोग निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं। अच्छे प्रतिशत वाले पेशेवर छात्र अंतरराष्ट्रीय स्कूलों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों में आज काम कर रहे हैं। कोलकाता में भारत के टॉप बीएड कॉलेज हैं जो पूरे भारत में सर्वश्रेष्ठ परिणाम या स्कोर प्रदान करते हैं।
डी.एड कोर्स और करियर के अवसर-
डी.एड कोर्स को करने के लिए जरूरी योग्यता सिर्फ 12वीं पास है। इसके बाद या तो बीएड कोर्स कर सकते हैं या वे नर्सरी लेवल तक की शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ा सकते हैं। इन पेशेवरों के लिए नौकरी का दायरा भी बढ़ रहा है। जिन छात्रों ने डी.एड कोर्स पूरा किया हुआ है, वे किसी सरकारी या निजी स्कूलों में नौकरियों के लिए काफी अवसर खोज सकते हैं।
बी.एड और डी.एड कोर्स बीच महत्वपूर्ण अंतर-
जो लोग बीएड और डी.एड कोर्स को लेकर चिंतित हैं, ये दोनों पूरी तरह से अलग हैं। बीएड करने के बाद आप 12वीं तक की स्कूलों में टीचर बनने के योग्य साबित होते हैं जबकि डी.एड उम्मीदवारों को नर्सरी स्कूलों में टीचर लगाया जाता है।