कॉमर्स से 12वीं पास करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट चार्टर्ड अकाउंटेंट या कंपनी सेक्रेटरी बनने की राह पर आगे बढ़ते हैं ,चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी की शुरुआत कॉमर्स सब्जेक्ट से ही होती है, लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के तहत किया जाता है और कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया करवाती है, इसकी आगे की पढ़ाई बिलकुल अलग हो जाती है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी दोनों में ज्यादा तो नही पर कुछ बेसिक अंतर है. चार्टर्ड अकाउंटेंट का काम टोक्स और मनी मैनेजमेंट से जुड़ा होता है. सीए फर्मों और कंपनियों के पैसे से जुड़े जोखिमों, नुकसानों और खातों को संभालते हैं. इन सब के साथ सीए का काम है किसी भी कंपनी या फर्म के मुनाफे को बढ़ाना. इसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑडिट, कराधान, निवेश, वित्त आदि पर काम करते हैं. अब अगर कंपनी सेक्रेटरी की प्रोफाइल की बात करें तो इनका काम कंपनियों के व्यवसाय और कानूनों से जुड़े मामले के साथ वित्त, लेखा, कराधान जैसे मामलों पर काम करते हैं. इसके लिए उन्हें कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को सलाह देना होता है।

कंपनी सेक्रेटरी और चार्टर्ड अकाउंटेंट दोनों कोर्स तीन चरणों मे होते हैं. फर्क इनके टाइम ड्यूरेशन में होता है. कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स करने में करीब 2 से 3 साल का समय लगते हैं, वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट का बात करें तो इसमें करीब 5 साल लगते हैं. बाकि स्टूडेंट की पढ़ाई की क्षमता पर निर्भर करता है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट कोर्स के लिए सबसे पहले इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया से रजिस्ट्रेशन योग्यता प्रोफेशनल टेस्ट पास करके बैचलर ऑफ कॉमर्स की डिग्री मिलती है, फिर एकीकृत व्यावसायिक क्षमता परीक्षा पास करना होता है, फिर 3 सालों के लिए आर्टिकलशिप करना होती है,इसके बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल परीक्षा होती है।

कंपनी सेक्रेटरी कोर्स के लिए पहले इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (ICSI) पर रजिस्टर करें,इसके बाद आठ महीने का फाउंडेशन कोर्स होता है, फिर एक साल का लिए एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम
एक साल का प्रोफेशनल प्रोग्राम।

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