इंटरनेट डेस्क। हम जब कॉलेज में अपनी मौज वाली लाइफ में होते हैं तो हम एक बुलबुले के अंदर रहते हैं जहां लाइफ बहुत ही खुश दिखाई देती है और किसी भी तरह की कोई परेशानी हमें नहीं दिखाई देती है।

लेकिन जब आखिरी साल आता है यानि कि हमारे ग्रेजुएट होने का समय आता है तब हमारे माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लग जाती है। आखिरकार, अब वो समय आ गया है जब हम कॉलेज से बाहर जाने वाले हैं। हम अब पैसे कमाने के लिए जाएंगे, अब हम जॉब करने जाएंगे। ऐसे में अधिकांश छात्र कॉलेज से निकलते समय खुद से कई प्रकार के वादे करते हैं लेकिन वो कितने पूरे होते हैं कितने नहीं आइए जानते हैं, क्योंकि वो वादे वास्तविकता से बहुत ही दूर होते हैं।

वादा या उम्मीद- मैं अब बहुत सारी कमाई करने जा रहा हूँ!

हकीकत:- ग्रेजुएट होने के कुछ दिनों बाद ही कुछ तो अपने दोस्तों से 2 दिन के लिए 500 रुपये उधार मांगते हुए देखे जा सकते हैं।

हर कोई नौकरी छोड़ देता है तो क्या कोई भी परवाह करता है?"

छुट्टियों की प्लानिंग-

उम्मीद- मैं साल में एक बार कम से कम एक बार कहीं ट्रेवल पर तो जाउंगा।

हकीकत: "सर, क्या मैं सिर्फ काम से दो दिन दूर रह सकता हूं और दिवाली के लिए घर जा सकता हूं?"

माता-पिता का साथ-

उम्मीद: बच्चे जो 23 साल के बाद भी अपने माता-पिता के साथ रहते हैं वे कमजोर हो जाते हैं और हार जाते हैं!

हकीकत: मैं घर पर अपने लोगों के साथ अपना 25वां जन्मदिन मनाने जा रहा हूं।

ऑफिस में कैसा दिख रहा था-

उम्मीद: मैं हर रोज ऑफिस में तैयार होकर जा रहा हूं और आगे भी जाउंगा।

हकीकत: क्या आपको लगता है कि कोई भी नोटिस करेगा कि आपने कल ग्रीन शर्ट पहन रखी थी।

फ्लेट-

उम्मीद: अब मेरा कॉलेज पूरा हो गया है तो मैं मेरे अपार्टमेंट को फिर से खूबसूरती से सेटअप करवाने जा रहा हूं।

हकीकत- दोस्तों...प्लीज, ऐसे मत करो। मैं सिर्फ एक सोफा और बिस्तर खरीदने की योजना बना रहा हूं और पहरेदार से कोई काम करने वाली की तलाश का कहा है।

सुबह उठना-

उम्मीद- मैं सुबह जल्दी उठकर टाइम पर ऑफिस पहुंच जाउंगा।

हकीकत- मुझे लगता है कि मैं अब इस टाइम उठा हूं तो नहाने के लिए तो समय नहीं है। तैयार होने के लिए मेरे पास सिर्फ 18 मिनट बचे हैं।

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