जब सरकारी दावे फेल होते हैं और सरकारी योजनाओं की पोल खुलकर सामने आती है तो सरकारी अधिकारी जवाब देने से बचते फिरते हैं। कुछ ऐसा ही किस्सा हरियाणा के रेवाड़ी से सामने आया है जिसके अनुसार वहां सरकार के बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के दावों की पोल खुल गई है।

क्या आपने कभी सुना है कि कहीं किसी स्कूल में सिर्फ टीचर हों और वहां पढ़ने वाला एक ही छात्र हों। जी हां, रेवाड़ी के इस सरकारी स्कूल में एक टीचर, एक छात्र के साथ एक सरकारी स्कूल चल रहा है। रेवाड़ी के लूखी गांव में इस पूरे सरकारी गर्ल्स माध्यमिक विद्यालय में सिर्फ 7वीं क्लास की एक लड़की ही पढ़ने के लिए आती है।

स्कूल में एकमात्र टीचर हैं दया किशन है, जो कि सामाजिक विज्ञान पढ़ाते हैं लेकिन ऐसी मजबूरी में वो अपने छात्र को गणित समेत सभी विषयों को पढ़ा रहे हैं। लड़की का नाम कुसुम कुमारी है।

स्कूल के टीचर का कहना है कि "मैं एक सामाजिक विज्ञान का टीचर हूं लेकिन मैं अपने छात्रों को सभी विषयों को पढ़ता हूं। भले ही गणित मेरा मजबूत ना हों, लेकिन इसके अलावा मैं कुछ और नहीं कर सकता हूं। वह शिक्षकों की कमी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को बताते हैं जिसके कारण स्कूल में कोई भी छात्र पढ़ने के लिए नहीं आते हैं।

इसके अलावा टीचर का साफ तौर पर कहना है कि उसके कई बार अधिकारियों को कह दिया है कि स्कूल की स्थिति अच्छी नहीं लग रही है, इस बच्चे को दूसरे स्कूल में भेजा जाना चाहिए।

स्कूल अभी भी केवल एक छात्र के साथ क्यों चल रहा है?

आपको बता दें कि साल 2016 में, इस स्कूल में 22 लड़कियां थीं, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या में गिरावट आने लगी और अब केवल एक छात्र ही रह गई है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान' इस स्कूल की स्थिति का विरोधाभास करते हैं। अधिकारी इस स्थिति के लिए चुप हैं और फिर भी कर्मचारियों को बढ़ाने का कोई प्रयास अभी तक नहीं लिया गया है।

लखी गांव के सरपंच, चंद्र हर्ष यादव का कहना है कि "मैंने ब्लॉक विकास अधिकारी को लिखा है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके अलावा, उन्होंने कहा, "हम स्कूल को बचाना चाहते हैं"।

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