ये हैं भारत के सबसे कम उम्र CEO, 13 साल की उम्र में बन गए थे करोड़पति
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के युवा आज पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं। वे अपने शार्प माइंड के कारण हमारे देश के नक्शे पर बहुत ही कम समय में उभर कर आ गए हैं।
युवा माइंड्स जब प्रशिक्षण और ज्ञान से प्रेरित होते हैं, तो वो कुछ भी कर सकते हैं। आज हम आपके लिए कुछ ऐसे ही युवा माइंड की कहानियां लेकर आएं हैं जिन्होंने या तो बहुत ही कम उम्र में अपनी खुद की फर्म खोल ली या किसी ने खुद आविष्कार करके अपना बिजनेस शुरू कर लिया।
सुहास गोपीनाथ, सीईओ, ग्लोबल आईएनसी
अपने स्कूल के दिनों के दौरान, स्कूली बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर परेशान रहते हैं लेकिन सुहास अपनी फर्म को शुरू करने और बनाए रखने के बारे में परेशान थे।
सुहास ने 14 साल की उम्र में इस फर्म को फ्लोट किया और फर्म के सीईओ के रूप में 17 साल की उम्र में चार्ज ले लिया और उस समय, वह सबसे कम उम्र के सीईओ बने थे। अब उनकी आईटी कंपनी दुनिया भर में 10 से अधिक ऑफिस होने का दावा करती है और इनकी कंपनी द्वारा अनुमानित लाभ सालाना $1 मिलियन से अधिक बताया गया।
संजय कुमार और श्रवण, अध्यक्ष, गो डायमेंशन
इन 12 और 14 साल के दो भाइयों ने जो कि भारत के सबसे कम उम्र के उद्यमियों में से एक माने जाते हैं अपनी एक ऐप डवलपमेंट कंपनी की शुरूआत की। थोड़े ही समय के बाद इन दोनों ने बच्चों के लिए ग्यारह ऐप औऱ बनाए। उनके पिता खुद कुमारन सुरेंद्रन, एक तकनीकी और आईटी कंपनी के डायरेक्टर हैं।
शुभम बनर्जी, सीईओ, ब्राइट लैब्स
इनके प्रोजेक्ट को विदेश से काफी सरहाना मिली। उन्होंने पहले अपने माता-पिता से पूछा कि कितने अंधे लोग पाते हैं और आगे इसमें उसने शोध किया और उन्होंने सीखा कि दुनिया के 285 मिलियन दृष्टिहीन लोगों में से 90 प्रतिशत विकासशील देशों में रहते हैं।
अंशुल समर, सीईओ, एल्केमिस्ट
अंशुल को किसी भी खेल में चौथे ग्रेडर के तौर पर खेलना पसंद नहीं था लेकिन वे जब भी खेलते इसी बारे में सोचते थे। इसके बाद उन्होंने एलिमेंटियो का आविष्कार किया जो बोर्ड आधारित गेम है। समर, अब 19 साल के हैं और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र हैं।
कविता शुक्ला, सीईओ, SAFEH20
कविता ने हाई स्कूल पास करने के बाद 13 साल की उम्र में ही अपना पहला आविष्कार कर दिया था जिसके अनुसार मेडिकल या कहीं और काम आने वाली खतरनाक सामग्री वाली बोतलों के लिए एक सुरक्षित लैब थी। इसके बाद उन्होंने स्मार्ट ढक्कन के रूप में इसका पेटेंट करवा लिया। उनका दूसरा उत्पाद पैकेजिंग सामग्री था जो ताजा पेपर है जिसका उपयोग भोजन को संरक्षित करता है।