आपने बिहार के गया जिले के गहलौर गांव के रहने वाले दशरथ मांझी का नाम तो सुना ही होगा। दशरथ मांझी वो ही इंसान थे जिन्होंने अपना गांव में अस्पताल ना होने की वजह से विशाल पहाड़ को काटकर लगभग 22 सालों की मेहनत के बाद पहाड़ को बीच में से काटकर गांववालों के लिए रास्ता बना दिया। उनकी मौत के बाद उनका नाम इसी बेमिसाल काम के लिए लिखा गया था। आप सोच रहे होंगे कि आज हम उनकी बात क्यों कर रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं।

यूपी के कुशीनगर जनपद के पडरौना विकास खंड के बहोरापुर पूर्व माध्यमिक स्कूल में 107 छात्रों का एडमिशन हैं लेकिन रोज 75-80 छात्र औसतन स्कूल में आते हैं। पिछले 10-12 दिनों से लगातार एरिया में बारिश हो रही है जिसके कारण स्कूल के गेट के बाहर पानी भर गया जिससे छात्रों को आने-जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

इसी से परेशान होकर कुछ छात्रों ने अपना दिमाग लगाया और स्कूल के अंदर पुराने एक शौचालय की दीवार की जो ईंटे पड़ी थी वो लेकर बाहर आए और कीचड़ के बीच स्कूल के गेट से लेकर रैंप पूरे 60 मीटर तक में सड़क बनाने के लिए ईंटों को बिछाना शुरू कर दिया, देखते ही देखते सिर्फ 3 घंटों में बच्चों ने 1300 से अधिक ईंटें वहां बिछा दी।

बच्चों के इस जोश और उत्साह को देखकर स्कूल के सभी टीचर भी खुश हुए और उन्होंने भी छात्रों का काफी मनोबल बढ़ाया। टीचरों का कहना था कि इस तरह की एक्टिविटी से छात्रों के बीच सामूहिक भावना पैदा होती है जिसका फायदा इनको भविष्य में मिलेगा। इसके अलावा बच्चों ने जिस तरह से पुरानी ईंटों को काम में लिया है वो वाकई में काबिले-तारीफ है।

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