हाल ही में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य के मुख्य शहर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का फैसला किया है। इस शहर का नाम बदलने की मांग काफी समय से चल रही है लेकिन राज्य के किसी भी मुख्यमंत्री ने यह कदम नहीं उठाया था लेकिन कई महीनों तक चली एक लंबी प्रक्रिया के बाद अंतत: 444 वर्षों के बाद शहर को एक बार फिर से अपने पुराने नाम प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा।

ऐसा कहा जा रहा है कि मुग़ल बादशाह अकबर ने लगभग 444 साल पहले इस शहर का नाम बदलकर इलाहाबाद किया था लेकिन क्या आप जानते है कि अकबर ने ऐसा क्यों किया था। चलिए आज हम आपको अकबर द्वारा इस शहर का नाम बदलने का कारण बताते है।

इतिहास के पन्नों में दर्ज तथ्यों के मुताबिक, मुगल सम्राट अकबर ने वर्ष 1574 के दौरान प्रयागराज के चारों ओर किलों की नींव रखी और अकबर ने यहां एक पूरा शहर स्थापित किया और फिर 1580 के बाद प्रयागराज का नाम इलाहाबाद में बदल दिया था।

"प्रयाग" एक धार्मिक और वैचारिक नाम है जिसे पूजा और तपस्या की भूमि का प्रतीक माना जाता है। और जैसा कि चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ द्वारा वादा किया गया था कि उनकी सरकार बनने के बाद शहर का नाम बदला जाएगा और अब उन्होंने अपने इस चुनावी वादे को पूरा करते हुए शहर का नाम बदल दिया है। योगी सरकार ने का सिर्फ इलाहाबाद बल्कि फैज़ाबाद शहर का नाम बदलकर आयोध्या करना का भी फैसला किया है।

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