मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के 5,606 पद खाली पड़े हैं जबकि प्रतिष्ठित आईआईटी जैसे संस्थानों में भी यह संख्या 2,806 है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय विज्ञान संस्थान और प्रौद्योगिकी संस्थान में 1870 खाली पद हैं जबकि भारतीय प्रबंधन संस्थान में यह 258 पद है।

खाली पड़े पदों को भरने की की भी एक निरंतर प्रक्रिया है। एचआरडी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बढ़ी हुई छात्रों की ताकत के कारण सेवानिवृत्ति, इस्तीफा और अतिरिक्त आवश्यकताओं के कारण वैकेंसियां पैदा हो रही है।

संस्थान के प्रयासों की बात करें तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि फैकल्टी की कमी ना हों इसके लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं ताकि छात्रों का अध्ययन प्रभावित न हों, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ रिसर्च और कई प्रोफेसर शामिल है।

इन संस्थानों के अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी), 96 स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) में 88, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरू में 88 और भारतीय विज्ञान संस्थानों में 324 रिक्त पद हैं। भारत के सबसे बड़े संस्थानों की ऐसे हालातों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से हमारे संस्थानों में छात्र पढ़ रहे हैं और किसके भरोसे हमारे छात्र अपनी कॉलेज लेवल की पढ़ाई कर रहे हैं।

Related News