वैक्सीनेशन से बढ़ रहे नौकरी के मौके, इन महानगरों में निकली भर्तियां
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद बेंगलुरू, हैदराबाद, दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में सबसे ज्यादा नौकरियों के अवसर बढ़े हैं। वहीं बैंकिंग, वित्त और बीमा, दूरसंचार, विनिर्माण और इंजीनियरिंग में नौकरियों के मौके तेजी से बढ़े हैं। बड़े वेतन वाली नौकरियों की संख्या में तेजी से सुधार है। एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इसमें कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर से देश की अर्थव्यवस्था उबरने लगी है जिससे रोजगार के अवसर में इजाफा हुआ है। इसके अलावा टेक्नोलॉजी में नई और गहरी जानकारी रखने वाले कर्मियों की मांग सबसे अधिक है।
विशेषता की मांग बढ़ी
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट के दौर में सेल्स और टेक्नोलॉजी पेशवरों की सबसे ज्यादा मांग है। साथ ही अन्य के मुकाबले इसमें वेतन वृद्धि भी अधिक हुई है। सेल्स और टेक्नोलॉजी में वेतन वृद्धि औसतन 11 फीसदी रही। जबकि, अन्य क्षेत्रों में यह 1.73 फीसदी के करीब रही है। सेल्स और टेक्नोलॉजी के अलावा बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा और स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े क्षेत्र हैं जहां वेतन वृद्धि अच्छी रही है।
वैक्सीन बढ़ा रहा नौकरी के मौके
रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरू, हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और चंडीगढ़ में नौकरियों के अवसर के साथ वेतन वृद्धि भी सबसे अधिक रही है। रितुपर्णा चक्रवर्ती का कहना है कि महानगरों में कोरोना की वैक्सीन अधिक तेजी से और ज्यादा लोगों को लगी है। इससे लोग काम पर निकलने में कम डर रहे हैं। यही वजह है कि महानगरों में नौकरियां तेजी से बढ़ी हैं।
इन क्षेत्रों में वृद्धि तेज
बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा और स्वास्थ्य देखभाल, विनिर्माण से जुड़े क्षेत्रों के कारोबार में सुधार भी बहुत तेजी से हो रहा है। इसके अलावा टेलीकॉम क्षेत्र में वृद्धि काफी तेज रही है। आईटी, ई-कॉमर्स, एजुकेशन टेक्नोलॉजी और स्वास्थ्य देखभाल ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर कोरोना का असर बहुत कम हुआ है।
अस्थाई कर्मियों को भी ऊंचा ज्यादा वेतन
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां अब अस्थाई कर्मियों को भी अधिक वेतन देने को तैयार हैं। पिछले वित्त वर्ष में नियमित और अस्थाई कर्मचारियों के वेतन में अंतर घटकर महज पांच फीसदी रह गया। ऐसा पहली बार हुआ है जब नियमित और अस्थाई कर्मचारियों के वेतन में अंतर इतना कम है। आमतौर पर कंपनियां अस्थाई कर्मचारियों को कम वेतन देती हैं। लेकिन कोरोना संकट में कंपनियां कम समय के लिए काम के लिए अधिक वेतन चुकाने को तैयार हैं।
होटल-पर्यटन में सुधार सुस्त
सर्वे के अनुसार, होटल एवं पर्यटन क्षेत्र पर कोरोना महामारी की सबसे अधिक मार पड़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक इन क्षेत्रों में सुधार में लंबा वक्त लगेगा। इसके अलावा एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र को पटरी पर लौटने में भी कुछ महीने और लगेंगे। साथ ही रिटेल क्षेत्र में सुधार भी काफी सुस्त है। विशेषज्ञों का कहना है कि सप्लाई चेन के बाधित होने से कंज्यूमर ड्यूरेबल की रफ्तार कम रही है। अब इसमें सुधार होने लगा है।
नई तरह की नौकरियों की पेशकश
टीमलीज की सह-संस्थापक और कार्यकारी उपाध्यक्ष रितुपर्णा चक्रवर्ती का कहना है कि पहली बार कुछ क्षेत्रों नई तरह नौकरियों की मांग देखी गई है। इसमें मर्चेंट रिलेसनशिप एक्जीक्यूटीव और टीम लीड इनसाइट सेल्स वाले प्रोफाइल की मांग ई-कॉमर्स और टेक स्टार्टअप में देखी गई है। वहीं फार्मा में कामर्शियल कोऑर्डिनेटर और डिस्ट्रीब्यूटर सपोर्ट की प्रोफाइल पहली बार देखने को मिली। सर्वे में कुल 17 क्षेत्रों को शामिल किया गया है।