स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई पर नहीं खर्च किया 1 रूपया, आज है IAS अधिकारी
एक इंसान जिसके जेब में पढ़ने के लिए पैसे नहीं है, एक शख्स जो कभी साइकिल की दुकान में पंचर निकाला करता था, एक शख्स जो कभी अपनी जिंदगी में ऐसा मुकाम हासिल करने की सोच भी नहीं सकता था, जी हां, हम बात कर रहे हैं IAS अधिकारी वरुण बरनवाल की जिनकी कहानी चाहे कितनी भी पुरानी हों लेकिन आज भी लाखों युवा को जोश से भर देती है।
महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर बोइसार से रहने वाले वरूण 2013 में यूपीएस की परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की। वरूण की कहानी किसी के लिए आम नहीं हो सकती है लेकिन जिंदगी में अगर आप कुछ करने का सोचते हैं तो आपको एक बार जरूर सुननी चाहिए।
साइकिल का पंक्चर निकाला करते थे-
वरुण को बचपन से पढ़ाई में मन था लेकिन पैसे की कमी के कारण उनको पढ़ाई में काफी मुश्किलें हुई। 10वीं क्लास के बाद पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने के लिए साइकिल की दुकान में काम करने लगे। 10वीं में उनका स्कोर देखकर सभी ने उनसे यही कहा कि तुम पढ़ाई करो पैसों की चिंता छोड़ दो।
फीस के पैसे नहीं थे तो यहां से मिली मदद-
वरुण 10वीं के बाद एडमिशन के लिए जिस स्कूल में एडमिशन लेने के लिए गए उसमें फीस 10 हजार रूपए थी लेकिन उनके पास देने के लिए कुछ नहीं था। तभी उनके पिता के दोस्त और पिता के जो डॉक्टर इलाज कर रहे थे उन्होंने फीस का पूछा और तुरंत पैसे दे दिए।
पढ़ाई पर खुद ने नहीं लगाया कभी 1 रुपया-
वरुण को या तो किस्मत वाला कह सकते हैं या फिर आप उनको एकदम अलग ही इंसान कह सकते हैं क्योंकि उनके साथ हमेशा से ही ऐसा हुआ है कि उनको पढ़ाई करने के लिए जब भी पैसे चाहिए थे कहीं ना कहीं से व्यवस्था हो ही जाती थी।
इसके अलावा कॉलेज में जब गए तो डीन और प्रोफेसर के कहने पर फीस माफ हो जाती थी। उसके बाद एक शिक्षक की नजर में आया और मेरी मेरी सलाह प्रोफेसर, डीन, डायरेक्टर से की।
यूपीएससी की तैयारी कैसे शुरू की-
वरुण ने इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी करनी शुरू कर दी लेकिन मन अचानक से सिविल सर्विस में जाने का बन गया, जिसके बाद उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी और पूरी लग्न से मेहनत की। वरूण को बस इतना विश्वास था कि अगर वो मेहनत और लगन से काम कर रहे हैं तो पैसों या किसी भी चीज की दिक्कत कभी आगे नहीं आ सकती है।