आज पूरे देश में भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की 150 वीं जयंती मनाई जा रही है। भारत की आजादी में उनके योगदान को कोई नहीं नकार सकता है। उन्होंने अहिंसा के बल पर भारत को आजादी दिलाने में अपना अहम योगदान दिया था। वहीं अगर हिटलर की बात करें तो वह जर्मनी की नाज़ी पार्टी का नेता था जो कि हिंसा और नरसंहार के लिए के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते है कि हिटलर ने कभी भी गांधी जी के खतों का जवाब नहीं दिया था।

वर्ष 1939 से 1945 की बीच हुए द्वितीय विश्व युद्ध पूरी दुनिया में भारी विनाश हुआ था और इसके बाद पूरी दुनिया अशांति महसूस करने लगी थी। इस दौरान गांधीजी ने हिटलर को 2 खत लिखे थे। इन खतों में में, गांधीजी ने हिटलर को "मित्र" के रूप में सम्बोधित किया और इस बात का दावा किया कि अहिंसा से लोग आपके दुश्मन नहीं बनते है।

गांधी ने जर्मन तानाशाह हिटलर को 1939 और 1940 में कई खत लिखकर यूरोप में युद्ध शुरू करने से चेतावनी देने की कोशिश की लेकिन ये खत कभी भी उस तक नहीं पहुंचे। हिटलर ने गांधीजी के खतों का कभी जवाब नहीं दिया क्योंकि उन्हें कभी भी उनमें से किसी को पढ़ने का मौका नहीं मिला। इन खतों के बारे में नहीं जानते हुए हिटलर ने पोलैंड पर हमला किया था।

आप इस बात का अंदाजा लगा सकते है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के कब्जे वाले क्षेत्र से पर्याप्त साधनों के माध्यम से जर्मनी में संदेश भेजना कितना मुश्किल था और यही कारण है कि इतिहासकारों मानते है कि अंग्रेजों द्वारा इन खतों को रास्ते में ही दिया गया था और ये कभी हिटलर तक नहीं पहुंचे थे। लोगों का यह भी मानना है कि अगर गांधी जी के ये खत हिटलर तक पहुँच गए होते और हिटलर ने इन्हें पढ़ा होता तो इतिहास की कई घटनाओं में बदलाव आ सकता था।

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