UGC भंग कर सरकार लाएगी HECI, जानिए इसके बारे में सबकुछ
इंटरनेट डेस्क। एमएचआरडी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर कल एक बड़ा ऐलान किया जिसके बाद देश के एजुकेशन से जुड़े लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिय़ाएं देखने को मिल रही है। एमएचआरडी ने यूजीसी को भंग करने के फैसले पर भारत के उच्च शिक्षा आयोग अधिनियम 2018 में दुबारा विचार करने को लेकर सुझाव और टिप्पणियां मांगी थी।
एमएचआरडी ने कहा कि ये नया अधिनियम यूजीसी अधिनियम 1956 को दुबारा प्रतिस्थापित करेगा और एचआरडी का संस्थानों के अकादमिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नए निकाय को बहुत ही जल्द बनाया जाएगा।
एमएचआरडी के इस फैसले के बाद पूरे देश से इस फैसले को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। हालांकि कुछ लोगों ने इस फैसले की सराहना भी की है जबकि कई ने इस कदम की निंदा की है।
डीयूटीए ने यूजीसी को स्क्रैप करने के सरकार के फैसले की स्पष्ट रूप से निंदा की है और उनका साफ तौर पर कहना है कि जो नया निकाय बनाया जाएगा वो केवल शिक्षा संस्थानों में सरकार के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को बढ़ाएगा।
इसके अलावा डीयूटीए का ये भी कहना था कि सरकार की तरफ से यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि मंत्रालय किस तरह से नए आयोग को बनाएगा। इसके विपरीत, यह भी डर है कि इससे सरकारों द्वारा प्रत्यक्ष हस्तक्षेप में बढ़ोतरी हो सकती है।
एचईसीआई और यूजीसी के बीच क्या फर्क है?
एचईसीआई यानि कि हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया और यूजीसी के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह होगा कि यूजीसी के पास किसी संस्थान की गुणवत्ता का आंकलन करने और अनुदान जारी करने का ही अधिकार रहता था लेकिन अब जो नया निकाय बनाया जा रहा है इसके पास अधिकार के साथ वह सीधे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को रिपोर्ट भी कर सकता है।
इससे पहले यूजीसी गुणवत्ता और अकादमिक मानकों के लिए संस्थानों का निरीक्षण करता था बल्कि एचईसीआई के साथ हर तरह की प्रक्रिया में पारदर्शीता होगी।
एक अन्य क्षेत्र जहां एचईसीआई यूजीसी से आगे साबित होगा वो है फर्जी संस्थानों से निपटने में। समय-समय पर यूजीसी फर्जी संस्थानों की लिस्ट जारी करता है लेकिन एचईसीआई के पास नकली संस्थानों के साथ-साथ ऐसे संस्थानों को बंद या दंडित करने की भी शक्ति होगी।
यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और आर्किटेक्चर काउंसिल को भी एचईसीआई के दायरे से बाहर रखा गया है और ये दोनों निकाय भारत में कानूनी और वास्तुकला अध्ययन के मानकों को स्थापित करने के लिए जिम्मेदार होंगे।