इंटरनेट डेस्क। मदरसों में क्वालिटी एजुकेशन को लेकर हमारे देश में पिछले काफी लंबे समय से बहस चल रही है, जहां सरकार हर संभव प्रयास करने का दावा कर रही है वहीं मदरसा के हालात अभी जस के तस ही हैं। हाल ही में मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मदरसा (एसपीक्यूईएम) में क्वालिटी एजुकेशन के लिए सरकार की तरफ से लाई जा रही योजना स्वैच्छिक है और केवल उन्हीं मदरसों के लिए लागू होगी जो बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं।

इस योजना के तहत, मद्रास को किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से संबद्ध किया जा सकता है, जिसमें राज्य बोर्ड, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), मदरसा बोर्ड, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) शामिल हैं।

सरकार का कहना है कि किसी भी बोर्ड से संबद्ध होने से छात्रों को अपनी स्कूल के समय के बाद आगे की पढ़ाई में इन मदरसों से बाहर निकलने के बाद काफी मदद मिलेगी। वहीं एचआरडी मंत्रालय ने मदरसा बोर्डों की मजबूती और गतिविधियों के लिए 5 लाख रुपये का प्रावधान भी रखा है।

सरकार द्वारा जारी किए गए फंड के संबंध में उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए मदरसा के यूडीएसईई और जीआईएस निर्देशांक का भी एक प्रावधान रखा गया है जो अन्य संस्थानों पर भी लागू होता है लेकिन योजना मदरसा में एजुकेशन की क्वालिटी में सुधार लाने पर ही केंद्रित रहेगी।

वहीं मंत्रालय की एकीकृत स्कूल योजना के तहत, समाज शिक्षा अभियान, देश भर में मदरसों समेत सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों के हर बच्चे को 250 रुपये की औसत लागत पर केंद्र सरकार की तरफ से मुफ्त किताबें उपलब्ध करवाएगा और माध्यमिक स्तर के बच्चों को 400 रुपये दिए जाएंगे।

किताबों को इक्विटी सिद्धांत और समावेशन के सिद्धांत को लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए। सक्रिय रूप से मौजूदा रूढ़िवादी तत्वों को तोड़ना चाहिए और लिंग, जाति और वर्ग समानता, शांति, स्वास्थ्य और अलग-अलग बच्चों की जरूरतों के हिसाब से ही सभी मदरसों में पढ़ाई करवाई जानी चाहिए।

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