इंटरनेट डेस्क। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को देश में उच्च शिक्षा के लिए अकादमिक मानकों को सुधारने और फर्जी संस्थानों को रोकने के लिए एक मसौदा तैयार करने के बारे में विचार कर रहा है। जिस नए आयोग को बनाने पर विचार चल रहा है वो भारत का नया उच्च शिक्षा आयोग होगा जो पूरी तरह अकादमिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

इस नए कानून के तहत, पहली बार, देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के पास अकादमिक मानकों को लागू करने, उप-मानक और फर्जी संस्थानों को बंद करने, यहां तक ​​कि जुर्माना लगाने का भी अधिकार होगा। वर्तमान में, यूजीसी जनता को चेतावनी देने के लिए अपनी वेबसाइट पर फर्जी संस्थानों के नाम जारी करता है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।

इसके अलावा नए आयोग को मानकों को बनाए रखने के साथ-साथ डिग्री देने के लिए प्राधिकरण को निरस्त करने की शक्तियां भी होगी। वहीं यदि एक संस्था जुर्माना या बंद होने पर एचईसीआई के आदेश को नहीं मानती है तो प्रशासकों को आपराधिक अभियोजन का सामना भी करना पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप तीन साल तक की जेल भी हो सकती है।

नए मसौदे के अनुसार, राज्य के स्वामित्व वाले सभी विश्वविद्यालयों को डिग्री देने के लिए एचईसीआई से प्राधिकरण प्राप्त करना होगा और इसके लिए अकादमिक पाठ्यक्रम और बुनियादी ढांचे के संबंध में सभी शर्तों को पूरा करना होगा।

इस मसौदे ने सभी संस्थानों के लिए मान्यता भी अनिवार्य कर दी है और 2022 तक ऐसा करने में विफल होने वाले सभी संस्थान बंद भी हो जाएंगे।

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि आम जनता से 7 जुलाई को 5 बजे से पहले मसौदे पर टिप्पणियां और सुझाव देने के लिए कहा था, जिसे मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किया गया है। मानसून सत्र के दौरान 18 जुलाई को शुरू होने वाले नए अधिनियम की संसद में पेश होने की भी संभावना है।

मौजूदा कमीशन अब संस्थानों को फंड देने से लेकर अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे कि परामर्श संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करने, इस क्षेत्र में आवश्यक अन्य गुणवत्ता उपायों पर ध्यान केंद्रित करने जैसे काम भी करेगा। आपको बता दें कि काफी समय से यूजीसी की आलोचना की जा रही है औऱ खासतौर पर इसके लिए नए नियम लाने पर काफी समय से विचार चल रहा था।

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