अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री है उन्हें कई तरह के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चूका है। उन्हें लोकमान्य तिलक पुरस्कार, डॉक्टर ऑफ लेटर, पद्म विभूषण, उत्कृष्ट संसदीय पुरस्कार, बांग्लादेश लिबरेशन वार सम्मान और भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चूका है। आज हम अटल बिहारी वाजपेयी के ऐसे कुछ पहलुओं से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो छात्रों के भविष्य को निखार सकते हैं।

हम आपको अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ एेसी बातों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर छात्रों को अमल करना चाहिए-

1- शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। अच्छे वक्तित्व के लिए शिक्षा अच्छे आदर्शों से युक्त होनी चाहिए और हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है।

2 - शिक्षा आज व्यापार बन गई है। ऐसी दशा में उसमें प्राणवत्ता कहां रहेगी? आज स्कूलों में छात्र थोक में आते हैं।

3- मुझे शिक्षकों का मान-सम्मान करने में काफी गर्व महसूस होता है। अध्यापकों को शासन द्वारा प्रोत्साहन मिलना चाहिए। प्राचीनकाल में अध्यापक का बहुत सम्मान था। लेकिन आज ऐसा नहीं है आज अध्यापक पिस रहा है।

4 - निरक्षरता का और निर्धनता का बड़ा गहरा संबंध है।

5- वर्तमान शिक्षा-पद्धति की विकृतियों से, उसके दोषों से, कमियों से सारा देश परिचित है। मगर नई शिक्षा-नीति कहां है? इस से अटल बिहारी का अभिप्राय है कि हमें शिक्षा के लिए नई नीतियों की खोज करनी चाहिए।

6 - मोटे तौर पर शिक्षा रोजगार या धंधे से जुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए। इसके बजाय यह राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण में सहायक हो और व्यक्ति को सुसंस्कारित करें। इसका अर्थ है कि शिक्षा से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आना चाहिए।

7- शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। ऊंची-से-ऊंची शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए। इसका अर्थ है कि हम कितना भी पढ़ लिख जाएं लेकिन हमें अपनी मातृ भाषा को नहीं भूलना चाहिए।

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