सरकारी स्कूल VS प्राइवेट स्कूल: क्या है दोनों स्कूलों में अंतर
सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल में से कौनसा स्कूल बेहतर है इस बात पर बहस काफी लंबे समय से चली आ रही है और ये बहस कभी रुकने वाली भी नहीं है। लेकिन आज हम आपके सामने इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं कि प्राइवेट स्कूलों और सरकारी स्कूलों में से कौनसा स्कूल बेहतर होता है। दोनों प्रकार के स्कूलों के पास भारत के भविष्य के चैंपियनों को पोषित और बनाने के लिए बहुत कुछ है। तो इन दोनों में से कौनसा स्कूल बेहतर है? आइए जानते हैं इस बारे में।
प्राइवेट स्कूल
-प्राइवेट स्कूल में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पूरा ध्यान दिया जाता है। छात्रों के लिए सभी तरह की सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध रहती है जिसमें वे आसानी से सीख सकें जिसमे वे आगे बढ़ सकें। आधारभूत संरचना उन्हें शिक्षा के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने में मदद कर सकती है।
- प्राइवेट स्कूल बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
- प्राइवेट स्कूल बेहतर स्वच्छता और पर्यावरण बनाए रखते हैं जो स्टूडेंट्स के हेल्थ के लिए अच्छा है।
- प्राइवेट स्कूलों बच्चों की सीखने की श्रमता को और अधिक विकसित करने के लिए स्कूलों में पढ़ाई ऑडियो-विज़ुअल से करवाई जाती है।
- प्राइवेट स्कूलों में शारीरिक विकास के लिए खेल आदि पर भी ध्यान दिया जाता है।
- प्राइवेट स्कूलों में छात्र सभ्य और आधुनिक दृष्टिकोण सीख सकते हैं जो एमएनसी में आगे चलकर मांह रहती है।
सरकारी स्कूल
- सरकारी स्कूल सस्ते होते हैं बुनियादी आवश्यकताओं को पूरी करने में इतने अधिक एलिजिबल नहीं होते हैं।
- प्राइवेट स्कूल कम आर्थिक समूह वाले छात्रों को समायोजित नहीं करते हैं। यहाँ पर सभी को समान शिक्षा के अवसर प्राप्त होते हैं और किसी में कोई भेदभाव नहीं होता है।
- 'नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा' और 'बालिका के लिए शिक्षा' जैसी नीतियां केवल सरकारी स्कूलों में ही लागू होती है।
- सरकारी स्कूलों में खेल और बुनियादी जरूरते भी स्टूडेंट्स को मिलती है।
- सरकारी स्कूलों का स्टाफ प्राइवेट स्कूल के कर्मचारियों के स्कूलों की आवश्यक शैक्षणिक आवश्यकताओं में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं।
निष्कर्ष
प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों से निश्चित रूप से बेहतर होते हैं क्योंकि वे बेहतर बुनियादी ढांचे, छात्र अनुपात के लिए बेहतर टीचर, स्वच्छ और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करते हैं। लेकिन जो माता पिता प्राइवेट स्कूलों की फीस का खर्चा नहीं उठा सकते हैं उनके लिए सरकारी स्कूल ही एक विकल्प बचता है।