लापता 54 सैनिक जिनको इसी नाम से जानते है, जिन्होंने देश के लिए जंग लड़ते समय दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे लेकिन दुश्मन के हाथ भी लग गए थे कहा जाता है , तब से वे पाकिस्तानी जेलों में सड़ रहे हैं और देश की सरकार राजनीति करने में व्यस्त है। आपको बता दे , भारत का मानना है कि उसके जो 54 सैनिक लापता हैं, वो पाकिस्तान की जेलों में क़ैद हैं।

पिछले साल जुलाई में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि इस वक़्त 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के कब्ज़े में हैं, इनमें वो ‘गुमशुदा 54’ सैनिक भी शामिल हैं, बाक़ी के शायद वो सैनिक हैं, जो ‘ग़लती से सीमा के उस पार चले गए’ थे, या फिर, उन्हें पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में पकड़ा गया।

पाकिस्तान, लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि भारत का कोई युद्धबंदी उसके कब्ज़े में है, तो क्या इन लापता सैनिकों में से कुछ को पकड़े जाने के तुरंत बाद मार दिया गया था? ऐसा क्या है कि आधिकारिक दस्तावेज़ों में भारत इन 54 सैनिकों को लापता भी बताता है।

फिर भी जब 1990 के दशक की शुरुआत में एक निचली अदालत में इन लापता सैनिकों के बारे में याचिका दाख़िल होती है, तो इसके जवाब में सरकार अपने अजीबोग़रीब हलफ़नामे में ‘ये स्वीकार करती है’ कि इन लापता 54 सैनिकों में से ’15 पक्के तौर पर मारे गए’ हैं? अगर हक़ीक़त यही है, तो फिर भारत सरकार आज भी ये दावा क्यों करती है कि ये 54 सैनिक उसके हिसाब से लापता हैं?

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