भारत की इतिहास की बात करे तो खासकर मुगल शासक शाहजहाँ के मामले में ज्यादातर जिक्र मिलता है। शाहजहाँ को इतिहास की किताबों में प्रेम की जिस मिसाल के रूप में पेश किया जाता रहा है वो पूरी तरह से कपोल कल्पित है। शाहजहाँ को सुंदर औरतों के साथ संबंध बनाना उसकी सबसे प्रिय आदत थी। उसने जीवन का ज्यादातर समय ऐसे ही कार्यों में गुजारा था।

कहा जाता है मुगल शासकों की तरह शाहजहाँ के हरम में भी हजारों औरतें थीं। जिस शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम की मिसाल दी जाती है उससे जुड़े जमीनी सच शायद ही कभी सामने लाये गये हों। कम ही लोगों को पता होगा कि, ना मुमताज शाहजहाँ की पहली पत्नी थी और ना ही आखिरी, मुमताज शाहजहाँ की सात बीवियों में चौथी थी।

ऐसा बताया जाता है कि, शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी। 38 वर्षीय मुमताज की मौत किसी बीमारी या दुर्घटना से नहीं बल्कि शाहजहाँ के चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी।

इतिहासकार वी.स्मिथ ने लिखा है, शाहजहाँ अपनी काम पिपासा के लिए कुख्यात था, जिसके चलते ही कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी सगी बेटी जहाँआरा के साथ संबंध बनाने का दोषी माना है, ऐसा बताया जाता है कि, जहाँआरा हुबहू अपनी माँ मुमताज की तरह दिखती थी इसलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में काम पिपासु शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा के साथ संबंध बनाना शुरू कर दिया था। इतिहासकारों की माने तो जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उसने उसका निकाह तक होने न दिया था।

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