आपने बहुत बार सुना होगा कि इस्लाम धर्म हिंदू धर्म से ही जुड़ा है और मुस्लिमों के प्रमुख पूजनीय स्थल मक्का में भी शिवलिंग है! लेकिन इन बातों के कितनी सच्चाई है, आज हम आपको इस बारे में ही बताने जा रहे हैं। हम आपको कुछ ऐसे तर्क बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकार आप भी सोचने को मजबूर हो जाएंगे।

1 . इस्लाम के आने से पहले, अरब में जिस देवता की पूजा की जाती थी, उसका नाम था हुबल।

आपको इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि जिस देवता हुबल की पूजा मुस्लिम करते हैं उनके सर पर चंद्रमा है, वहीं हिन्दुओं के आराध्य देव शिव के सर पर भी विराजमान है

2 . 600 AD से पूर्व वहां 3 देवियों की भी पूजा की जाती थी, इन देवियों को स्थानीय भाषा में अल लत, अल अज़ा और मीनत कहा जाता था।

इन देवियों के हाथ आशीर्वाद मुद्रा में हैं और शेर नीचे विद्यमान है। हमारी देवियां भी इसी मुद्रा में होती है।

3. मक्का, जहां काबा स्थित है, वहां दुनिया भर के मुसलमान एक काले पत्थर के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।

ठीक उसी तरह हिन्दू भी शिवलिंग के चारो और चक्कर लगाते हैं और परिक्रमा देते हैं।

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4. यहाँ तक की काबा के पत्थर और शिवलिंग में कई समानताएं हैं।

5 हमारे यहां शाष्टांग प्रणाम की रीति है, इस्लाम में भी ठीक उसी तरह सजदा किया जाता है।

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एक और समानता की बात करें तो हज़रत मुहम्मद का जन्म उसी कबीले में हुआ, जहां हुबल को भगवान के रूप में पूजा जाता था। कबीले के सरदार से मुहम्मद का झगड़ा हो गया, इसके परिणामस्वरूप इन दोनों में काफी लड़ाई झगड़े और युद्ध हुआ। मुहम्मद और उसके अनुयाइयों ने कबीले के सरदार को मार डाला और सारी मूर्तियां तोड़ दी। लेकिन इन्हे तोड़ने मात्र से कुछ नहीं होने वाला नहीं था। क्योकिं मूर्तियां तोड़ देने से हजारों साल पुराना पूजा करने का तरीका नहीं बदलने वाला था।

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इस्लाम धर्म में बहुत सी चीजें हैं जिस से ये पता चलता है कि सनातन धर्म से ही उत्पन्न हुआ है। आज नही तो कल मुसलमान को ये मानना ही पड़ेगा कि उनके पूर्वज पहले शिव की ही आराधना करते थे।

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